इन्वेंटरी कंट्रोल क्या है?
इन्वेंटरी कंट्रोल( Inventory Control)
व्यवसाय की स्थापना हो जाने के बाद उसके लिए भिन्न भिन्न स्रोत्रों से धन प्राप्त किया जाता है। वित्त के दो स्रोत्र है:- स्वामित पूंजी स्रोत्र तथा पूंजी स्रोत्र।
स्वामित पूंजी के अतिरिक्त व्यवसायिक संस्था को ऋण पूंजी भी प्राप्त करनी पड़ती है। व्यवसायिक पूंजी प्राप्त हो जाने के बाद संस्था के प्रबंधक इसे वित्तीय योजना के अनुसार विनियोजित करने की व्यक्स्था करते है।
इन सब के बाद किसी भी उघमी या व्यापारी को 6 एम(M’s) के साथ व्यवहारिक सम्बन्ध रखने पड़ते है।
1. मैन(कर्मचारियों के साथ)
2. मनी(पूंजी के साथ)
3.मशीन्स (मशीनों के साथ)
4.मटेरियल (सामान के साथ )
5.मैनेजमेंट (प्रबंध से)
6.मार्केटिंग(बाजार से)
इस सम्पूर्ण व्यापारिक प्रक्रिया में सामान (Material) एक विशेष तथा अलग अंग है। कच्चे माल की प्राप्ति से लेकर उत्पादित माल की रवानगी तक, इन सभी वस्तुओं की सूची को ‘ इन्वेंटरी ‘ कहते है। इस सारे सामान का भंडारण एवं नियंत्रण ‘ इन्वेंटरी कंट्रोल ‘ के अंतर्गत आता है।
इन्वेंटरी कंट्रोल के लाभ
1. माल चोरी की सम्भावना पर अंकुश लगता है।
2. माल क्षति एवं माल अवन्ति पर नियंत्रण रखने में सहायक है।
3. कच्चे माल तथा अन्य सामान की खरीद के अनुलिपीकरण को रोकने में सहायक है।
4. लिखा प्रणाली को कुशल बनता है।
इन्वेंटरी कंट्रोलके उद्देश्य
1. सामान के रख रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहय विशेषकर परिवहन के समय।
2. प्रबंधको के द्वारा सामान के भंडारण का कार्य उचित स्तर पर किया जाना चाहिए।
3. सामान की प्राप्ति तथा प्रतिष्ठान के बाहर आने वाले सामान का विवरण समुचित ढंग से प्रतिदिन किया जाना चाहिए।
4. सभी सामान उचित क्रम में रख जाना चाहिए।